Monday, October 27, 2008

एक रोटी सही मेहनत से कमा कर देखो

एक रोटी सही मेहनत से कमा कर देखो
ज़िन्दगी क्या है पसीने में नहा कर देखो

सिर्फ़ अपने लिए राहत की तमन्ना कैसी
दूसरों के लिए तकलीफ़ उठा कर देखो

तुमको मजबूरी का अन्दाज़ा भी हो जाएगा
फूल मेहनत के हथेली पे खिला कर देखो

सुबहा और शाम का संगम नज़र आजाएगा
ज़ुल्फ़ को आरिज़-ए-रोशन पे गिरा कर देखो

सिर्फ़ अपने ही नशेमन को बचाना कैसा
हर नशेमन को तबाही से बचा कर देखो

तुमको हर गाम पे जीने के मज़े आएँगे
खिदमत-ए-ख्ल्क़ में अपने को मिटा कर देखो

कितना दुशवार है इस दौर में जीना अनवर
इक दिया तुम भी हवाओं में जला कर देखो!!

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